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रविवार, 24 जुलाई 2022

मसमखां देंवता के चरण(स्तुति)

मसमखां के चरण(स्तुति)


१.जैत खाम तै चढ़े गा मसनिया,बाबा सबर भरिले बोरगा,अपन राहुर ले भुजंग कहते हैं कि चौंसठ जोगिनी के कुंवर गा।पांव मेढ़ासुर कानेन में कुंडल,बाबा खरग सोहै दोनों हाथ।।

२.निली निली चोलना तैं कसे वो मसनियां, मैया निली माथ के पागा वो।निली बछुरिया के पाकर धोये कि छबी है रानी मंकार वो।एक हाथ मैया जोग डंडा, मैया गर भर चंपा माला वो।

देवांगन जाति,लेंझवार गोत्र के देंवता

 लेंझवार गोत्र के कुलपूज देवता के नाम....

1.लुल्ला दंतार

2.देव दंतार

3.जादूगीर

4.आड़बीर

राजा के देवता के नाम

 राजा के देवता के नाम

1.अक्षराज

2.बछराज

3.नागिन पद्यमोहिनी


माता के मान के देंवता

 


देवांगन जाति,कोई गोत्र हो,जिसके घर माता का मान हो उसका निम्नलिखित 3 देवता होते हैं,

1.आद्यमाय



2.लाल लंगुरूवा


3.कंकालिन

कोसरिया,सोनकोसरिया गोत्र के कुलपूज देवता....

 देवांगन जाति,सोनकोसरिया, कोसरिया,गोत्र के कुलपूज देंवता के नाम


कोसरिया गोत्र के 4 कुलपूज देवता होते हैं जिसका नाम निम्नलिखित है.......


१.राजा भोज

२.अनमुरारी

३.हनुमान

४.चौसठ जोगिनी

शुक्रवार, 22 जुलाई 2022

मां परमेश्वरी के खेवा,परीम कार्यक्रम के संजहा के सेवा गाना

परमेश्वरी के संजहा के सेवा

नाना नाना नाना मैया,नाना नाना नाना वो।
सेवा वो सेवदान मैया,बिनती एक अव दाना वो।
बिनती एक अव दाना मैया२,जन्म लिए कालीराती...
सेवा वो सेवदान माय , बिनती एक अव दाना।
पंइया तोर पदुम है मैंय्या,मुख है कंवला वो।
नई जानो तोर आदि उतपन,नई जानो तोर सेवा वो।
सेवा ला कराहो सेउक राहा था बताओ वो।
भुल है वो भुल है मैया,भुल्ली के चुका संवासा वो।
रंगा तोर महल ले ले कनही, डाहक डमरू बाजै वो।
डाहक डमरू बाजै मैया, कुलदीप दिवना बारे वो।
कुलदीप दिवना बारे मैया,दीवना के पैंया लागय वो।
दीवना के पैंया लागय मैया,परबन बांस उड़ै वो।
गुरे वो धुपेन के मैया, परबन बास उड़ै बो।
दौना वो मड़ौना फूलवा के, परबन बांस उड़ै वो।
पाने वो जसमन फूलवा के, परबन बास उड़ै वो।
परबन बास उड़ै मैया,इंद्र बास न जावय वो।
बड़े संजहा के बेरा में बरजू, आगी अंधना करय वो।
आगी अंधना ला करके बरजु,मांग संवारय वो।
मांगे संवारके बरजू,भीतरी समावय वो।
धाने वो मकोइया के बरजू,भानस पकावय वो।
हरी वो मुंगेन के बरजू,दालन बनावय वो।
भाजी वो भाटा के बरजू,सलना बनावय वो।
लावा वो तितुर के बरजू,सलना बनावय वो।
भूरी भैंस के दूध के बरजू,खोवा भल औंटावय वो।
अत्तीस सालन बत्तीस भोजन,भोजन पकावय वो।
झारी वो लोटा में बरजू,पानी भल निकालय वो।
अपन ससुर ला बरजु, जेये बर बुलावय वो।
अपन सास ला बरजू,जेये बर बुलावय वो।
अपन पति ला बरजू, जेये बर बुलावय वो।
चंदन पीढ़ली ल बरजू,बैठक मढ़ावय वो।
कंचन थारी में बरजू, भोजन परोसय वो।
धाने वो मकोइया के बरजू, भोजन परोसय वो।
हरी वो मुंगेन के बरजू, दालना परोसय वो।
भाजी वो भाटा के बरजू, सलना परोसय वो।
लावा वो तितुर के बरजू, सलना परोसय वो।
भूरी वो भैंस के दूध के, खोवा भर परोसय वो।
अत्तीस सालन,बत्तीस भोजन, भोजन परोसय वो।
अपन ससुर ला बरजू, भोजन परोसय वो।
अपन सास ला बरजू, भोजन परोसय वो।
अपन पति ला बरजू, भोजन परोसय वो।
अपन ससुर ला बरजू,धुक-धुक जेवन जेवावय वो।
अपन सास ला बरजू, धुक-धुक जेवन जेवावय वो।
अपन पति ला बरजू, धुक-धुक जेवन जेवावय वो।
अपन ससुर बर बरजू, पलंग बिछावय वो।
पलंग के ऊपर बरजू,सिजरी बिछावय वो।
तेकर ऊपर बरजू,कारी मोर कमरिया वो।
वही वो पलंग में मैया,पहुड़न मल लागय वो।
लग पुरवाही दक्षिण दिशा के,हुरहुर निंदा आवय वो।

               ***समाप्त***

गुरुवार, 21 जुलाई 2022

परमेश्वरी के बैसकी के गाना

 

परमेश्वरी के बैसकी के गाना....


नाना नाना नाना मैया,नाना नाना नाना वो।

सेवा वो सेवदान मैया,बिनती एक अव दाना वो।

बिनती एक अव दाना मैया२,जन्म लिए कालीराती...

सेवा वो सेवदान माय , बिनती एक अव दाना।

पंइया तोर पदुम है मैंय्या,मुख है कंवला वो।

नई जानो तोर आदि उतपन,नई जानो तोर सेवा वो।

सेवा ला कराहो सेउक राहा ला बताओ वो।

भुल है वो भुल है मैया,भुल्ली के चुका संवासा वो।

रंगा तोर महल ले ले कनही, डाहक डमरू बाजै वो।

डाहक डमरू बाजै मैया,परबन बास उड़ै वो।

गुरे वो धुपेन के मैया, परबन बास उड़ै बो।

दौना वो मड़ौना फूलवा के, परबन बांस उड़ै वो।

पाने वो जसमन फूलवा के, परबन बास उड़ै वो।

परबन बास उड़ै मैया,इंद्र बास न जावय वो।

ऊंचे सिंहासन कनही बैठे, नीचे है दरबारा वो।

रंगा वो महल ले कनही,बोलन भल लागै वो।

सखी वो कहाय सुन मोर सात सहेल्लर वो

चल जइबो चल जइबो सखी,इंद्रो के दरबारा वो।

अपन सिंगार तुम पहिरव सखी,अपन सिंगार हम पहिरन वो।

सोलह वो सिंगार पहिरय ,बारा वो लंकारा वो।

सोनेन के सिंगार पहिरे,बाबा इंद का कैना वो।

रूपेन के सिंगार पहिरे,सात सहेल्लर वो।

रंगा वो महल ले कनही, रेंगन भल लागय वो।

सखी चार आगु रेंगय,सखी चार पाछु वो।

मांझे वो मंझोलन रेंगय,बाबा इंद का कयना वो।

इंदरू के दरबार के मैया,धरे हैं डहारा वो।

इंद्राराय राजा के मैया,धरे हैं डहारा वो।

अलीन गलीन भर मैया, रेंगन भल लागय वो।

शहरों के लोग वो मैया,देखन भल लागय वो।

कोई काहे मनीजा मैया, कोई काहै देवता वो।

नोहे वो मनीजा मैया,ऐ आवे देवता वो।

पक्की हवेली छोड़ बनिया के, छोड़ै सोनार दुकाना वो।

इंदरो के दरबार में मैया,पहुंचन भल लागय वो।

इंद्राराय राजा के राहुर,जाई पहुंचय वो।

बैठे दरबार राहै, इंद्राराय राजा वो।

मुन्नी वो मनोहर देवता के,बैठे हैं दरबारा वो।

नारायण मंमा के कनही, बैठे हैं दरबारा वो।

राही वो रूखमीन देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।

मस्समखां कुंवर देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।

भुतनाथ कुंवर देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।

सहदेव पंडित देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।

तैंतीस कोटि इनकर देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।

आवत कनही ला देखे मंमा,उठ के ठाड़ होवय वो।

बांह पकड़ के कनही ला,राहुर में ले जावय वो।

        मनपर सार बैठक दिये कि२,डारे हैं गलीचाआ,बैठौ वो बैठो नोनी आप रंगी कैयना,अरे भई आप रंगीकैयना।

लगे वो गलीचा मैया, बैठन भल लागै वो।

हांसि हांसि बात पुछे, नारायण मंमा वो।

ऐसन स्वरूप वो मैया, कहां भल चली आवव वो।

बैठे गलीचा कनही,उठ के ठाड़ भल होवय वो।

तोर इंद्रासन राज कर बाबा, मैं मृतालोक जावव वो।

काहे वो करन बर मैया,मृतालोक तुम जाथव वो।

मृतालोक में जाहो कनही, का भल तुम करव वो।

मृतालोक के बाबा,आये से फिरियादी वो।

गऊवा वो गोहार के बाबा,मोरन में चले आवय वो।

कोढ़ी रे गोहार के बाबा,मोरन में चले आवय वो।

दुखिया रे गोहार के बाबा,मोरन में चले आवय वो।

बंझुली ये गोहार के बाबा, मोरन में चले आवय वो।

अंधा ये गोहार के बाबा, मोरन में चले आवय वो।

मृतालोक में जाहो बाबा,सागर कोड़ावव वो।

सागर कोड़ाहों बाबा,अम्मा मैं लगाहंव वो।

भूखेन को मैं अन्न देहौं, कोढ़ी के काया बनावव वो।

नंगेन को मैं वस्त्र देहौं,बंझुली को पुत्र देवव वो।

दुखिया के मैं दुःख हारव,अंधा को रास्ता बतावव वो।

निर्धन को मैं धन देहौं,कीर्तन चलावव वो।

मृतालोके में बाबा मोर कीर्तन चलावव वो।

कयना भेस ला छोड़ के मैया,धरे जोगिनी के भेसा वो।

जोगनी भेस ला छोड़ के मैया,धरे कोयली के भेसा वो।

कोयली भेस ला छोड़ के मैया, धरे डोकरी के भेसा वो।

अरन-बरन के करन सकेलय,नागीन बन के छेना वो।

छेना ला बिन-बिन डोकरी,कुढ़ी मढ़ावय वो।

वही कुढ़ी में डोकरी,आगी लगावय वो।

आगी लगावय मैया,भभूत बनावय वो।

भभूत बनावय मैया,अंग में लगावय वो।

सटका टेकत टेकत डोकरी,भिक्षा मांगे ला जावय वो।

दोई-दोई घर छोड़कर डोकरी, एक-एक घर मांगे वो।


समाप्त

धन्यवाद

मां परमेश्वरी का खेवा कार्यक्रम ग्राम कुमरदा में

 मां परमेश्वरी का खेवा कार्यक्रम ग्राम कुमरदा में प्रमेन देवांगन के यहां आयोजित है  *देवांगन कुल के देवी मां परमेश्वरी के पीढ़ी पूजा खेवा का...