परमेश्वरी के बैसकी के गाना....
नाना नाना नाना मैया,नाना नाना नाना वो।
सेवा वो सेवदान मैया,बिनती एक अव दाना वो।
बिनती एक अव दाना मैया२,जन्म लिए कालीराती...
सेवा वो सेवदान माय , बिनती एक अव दाना।
पंइया तोर पदुम है मैंय्या,मुख है कंवला वो।
नई जानो तोर आदि उतपन,नई जानो तोर सेवा वो।
सेवा ला कराहो सेउक राहा ला बताओ वो।
भुल है वो भुल है मैया,भुल्ली के चुका संवासा वो।
रंगा तोर महल ले ले कनही, डाहक डमरू बाजै वो।
डाहक डमरू बाजै मैया,परबन बास उड़ै वो।
गुरे वो धुपेन के मैया, परबन बास उड़ै बो।
दौना वो मड़ौना फूलवा के, परबन बांस उड़ै वो।
पाने वो जसमन फूलवा के, परबन बास उड़ै वो।
परबन बास उड़ै मैया,इंद्र बास न जावय वो।
ऊंचे सिंहासन कनही बैठे, नीचे है दरबारा वो।
रंगा वो महल ले कनही,बोलन भल लागै वो।
सखी वो कहाय सुन मोर सात सहेल्लर वो
चल जइबो चल जइबो सखी,इंद्रो के दरबारा वो।
अपन सिंगार तुम पहिरव सखी,अपन सिंगार हम पहिरन वो।
सोलह वो सिंगार पहिरय ,बारा वो लंकारा वो।
सोनेन के सिंगार पहिरे,बाबा इंद का कैना वो।
रूपेन के सिंगार पहिरे,सात सहेल्लर वो।
रंगा वो महल ले कनही, रेंगन भल लागय वो।
सखी चार आगु रेंगय,सखी चार पाछु वो।
मांझे वो मंझोलन रेंगय,बाबा इंद का कयना वो।
इंदरू के दरबार के मैया,धरे हैं डहारा वो।
इंद्राराय राजा के मैया,धरे हैं डहारा वो।
अलीन गलीन भर मैया, रेंगन भल लागय वो।
शहरों के लोग वो मैया,देखन भल लागय वो।
कोई काहे मनीजा मैया, कोई काहै देवता वो।
नोहे वो मनीजा मैया,ऐ आवे देवता वो।
पक्की हवेली छोड़ बनिया के, छोड़ै सोनार दुकाना वो।
इंदरो के दरबार में मैया,पहुंचन भल लागय वो।
इंद्राराय राजा के राहुर,जाई पहुंचय वो।
बैठे दरबार राहै, इंद्राराय राजा वो।
मुन्नी वो मनोहर देवता के,बैठे हैं दरबारा वो।
नारायण मंमा के कनही, बैठे हैं दरबारा वो।
राही वो रूखमीन देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।
मस्समखां कुंवर देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।
भुतनाथ कुंवर देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।
सहदेव पंडित देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।
तैंतीस कोटि इनकर देवता के, बैठे हैं दरबारा वो।
आवत कनही ला देखे मंमा,उठ के ठाड़ होवय वो।
बांह पकड़ के कनही ला,राहुर में ले जावय वो।
मनपर सार बैठक दिये कि२,डारे हैं गलीचाआ,बैठौ वो बैठो नोनी आप रंगी कैयना,अरे भई आप रंगीकैयना।
लगे वो गलीचा मैया, बैठन भल लागै वो।
हांसि हांसि बात पुछे, नारायण मंमा वो।
ऐसन स्वरूप वो मैया, कहां भल चली आवव वो।
बैठे गलीचा कनही,उठ के ठाड़ भल होवय वो।
तोर इंद्रासन राज कर बाबा, मैं मृतालोक जावव वो।
काहे वो करन बर मैया,मृतालोक तुम जाथव वो।
मृतालोक में जाहो कनही, का भल तुम करव वो।
मृतालोक के बाबा,आये से फिरियादी वो।
गऊवा वो गोहार के बाबा,मोरन में चले आवय वो।
कोढ़ी रे गोहार के बाबा,मोरन में चले आवय वो।
दुखिया रे गोहार के बाबा,मोरन में चले आवय वो।
बंझुली ये गोहार के बाबा, मोरन में चले आवय वो।
अंधा ये गोहार के बाबा, मोरन में चले आवय वो।
मृतालोक में जाहो बाबा,सागर कोड़ावव वो।
सागर कोड़ाहों बाबा,अम्मा मैं लगाहंव वो।
भूखेन को मैं अन्न देहौं, कोढ़ी के काया बनावव वो।
नंगेन को मैं वस्त्र देहौं,बंझुली को पुत्र देवव वो।
दुखिया के मैं दुःख हारव,अंधा को रास्ता बतावव वो।
निर्धन को मैं धन देहौं,कीर्तन चलावव वो।
मृतालोके में बाबा मोर कीर्तन चलावव वो।
कयना भेस ला छोड़ के मैया,धरे जोगिनी के भेसा वो।
जोगनी भेस ला छोड़ के मैया,धरे कोयली के भेसा वो।
कोयली भेस ला छोड़ के मैया, धरे डोकरी के भेसा वो।
अरन-बरन के करन सकेलय,नागीन बन के छेना वो।
छेना ला बिन-बिन डोकरी,कुढ़ी मढ़ावय वो।
वही कुढ़ी में डोकरी,आगी लगावय वो।
आगी लगावय मैया,भभूत बनावय वो।
भभूत बनावय मैया,अंग में लगावय वो।
सटका टेकत टेकत डोकरी,भिक्षा मांगे ला जावय वो।
दोई-दोई घर छोड़कर डोकरी, एक-एक घर मांगे वो।
समाप्त
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